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क्या और कब होता है सूर्य ग्रहण:
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो की तब आती है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तब चंद्रमा के पीछे कुछ समय के लिए सूर्य का बिंब ढक जाता है। सूर्य ग्रहण अधिक से अधिक एक साल मै 5 बार आता है। आखिरी बार एक साल मै पांच सूर्य ग्रहण 1935 मै लगे थे । ये बहुत दुर्लभ बात थी। अब अगला साल जिसमें पांच सूर्य ग्रहण लगेंगे वह साल होगा 2206। साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगेगा। 20 अप्रैल को लगने वाला सूर्य ग्रहण खग्रास ग्रहण होगा, लेकिन इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा।
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कब लगता है सूर्य ग्रहण का सूतक काल
ये सवाल बहुत आम है कि सूतक काल सूर्य ग्रहण से कितने समय पहले लगता है। आपकी जानकारी के लिए बता दे की सूतक काल सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले लग जाता है। इस सूतक काल की शुरुआत के साथ - साथ कई सावधानियां लेनी भी आरंभ हो जाती है।
सूर्य ग्रहण का खास प्रभाव
इस सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। यानी की 5 मई को रात 08 :45 PM से 01: 00 AM तक चंद्र्ग्रहण होगा जो कि भारत में दिखाई देगा। जिस दिन ये ग्रहण लगेगा उस दिन पूर्णिमा होगी।
सूर्य ग्रहण के प्रकार
चन्द्रमा द्वारा सूर्य के बिम्ब के पूरे या कम भाग के ढ़के जाने की वजह से सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं जिन्हें पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण व वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
पूर्ण सूर्य ग्रहण
ये सूर्य ग्रहण का प्रकार तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के करीब आकर पूर्ण सूर्य को ढक लें जिससे पृथ्वी पर अंधकार छा जाता है। ये पृथ्वी के इतने पास होता है की सूर्य के प्रकाश का एक अंश तक पृथ्वी को छू नहीं पाता।
आंशिक सूर्य ग्रहण
ये सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और सूर्य का कुछ भाग ही अपनी छाया से छुपा पाता है। कुछ भाग ही छुपने के कारण बाकी बचा भाग इससे अप्रभावित रह जाता है। इसकी वजह से पृथ्वी के भाग विशेष पर लगने वाला ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण
ये सूर्य ग्रहण का सबसे दिलचस्प प्रकार है। इसमें चंद्रमा सूर्य के अधिक पास रहता है जिसकी वजह से सूर्य का सिर्फ मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है। पृथ्वी से देखने पर ये किसी चूड़ी या कंगन जैसा दिखता है । इसके ऐसे अलग आकार के कारण ही इसका नाम वलयाकार सूर्य ग्रहण है।
ग्रहण की पौराणिक कथा
समुद्र मंथन के समय स्वरभानु नामक असुर अमृतपान के लिए देवताओं के बीच बैठ गया। सूर्य और चन्द्र देव को इस बात का पता चल गया। सूर्य और चन्द्र देव से जानने के पश्चात मोहिनी रूपी विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से उनका वध कर दिया। अमृत का एक घूंट नीचे उतर जाने के कारण स्वरभानु अमर हो गया। गले से ऊपर का भाग राहु और नीचे का भाग केतु के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ग्रहण के रूप मे राहु सूर्य और चंद्र से बदला लेने के लिए आते हैं।
सूर्य ग्रहण से पहले लेने वाली सावधानियां
सूर्य ग्रहण के सूतक काल से लेकर ग्रहण लगने तक ली गई जानकारियां आपको कई कठिन मुसीबतों से बचा सकती है। उनमें से कुछ सावधानियां निम्नलिखित हैं :-
➡ गर्बवती महिलाएं किसी भी तरीके की नुकीली वस्तु से दूर रहे। ऐसा करने से होने वाले बच्चे में शारीरिक विकृति आ सकती है।
➡ सूतक काल शुरू होने के बाद खाना पकाना बिल्कुल वर्जित है।
➡ सूतक काल के समय उन्ही चीजो को खाए जिसमें पहले से तुलसी डाला हो।
➡ सूतक काल के समय घर के मंदिर के दरवाज़े बंद रखे।
सूर्य ग्रहण के समय लेने वाली सावधानियां
सूर्य ग्रहण के आरंभ से अंत तक भी कुछ सावधानियां लेनी जरूरी होती है । उनमें से कुछ सावधानियां निम्नलिखित हैं :-
➡ गर्भवती महिलाएं सूर्य ग्रहण की छाया में ना आए।
➡ कभी भी सूर्य ग्रहण को सीधी आंखो से ना देखे। ऐसा करना किसी को अंधा भी कर सकता है।
➡ इस समय के दौरान भी किसी भी तरीके की नुकीली वस्तु से दूर रहें।
सूर्य ग्रहण के बाद लेने वाली सावधानियां
सूर्य ग्रहण अंत होने पर भी उसके कुछ बुरे प्रभाव रह सकते है । उन प्रभावों को खत्म करने के लिए कुछ सावधानियां निम्नलिखित हैं :-
➡ घर में गंगा जल का छिड़काव।
➡ घर के सभी सदस्य दुबारा नहाए।
➡ मंदिर के दरवाज़े दुबारा खोल ले।
➡ घर में पूजा पाठ करे।
➡ अगर संभव हो तो जरूरतमंद का दान अवश्य करे।
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कब है 2023 का सूर्य ग्रहण और किन देशों में ये दृष्ति है
साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगेगा। 20 अप्रैल को लगने वाला सूर्य ग्रहण खग्रास ग्रहण होगा, लेकिन इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा । भारत में सूर्य ग्रहण नहीं दिखने के कारण ज्योतिष दृश्य से यहां सूतक मान्य नहीं होगा । साथ ही पूजा पाठ जैसे धार्मिक कार्य भी वर्जित नहीं होंगे। 20 अप्रैल को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण दक्षिणी प्रशांत महासागर के देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, इंडोनेशिया, फिलीपींस तथा पापुआ न्यूगिनी में दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण इन देशों में सुबह 7 बज कर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 39 मिनट तक दिखाई देगा।
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