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व्रतों को एक विशेष महत्वता प्राप्त है। हर व्रत अपने आप में विशेष एवं विभिन्न तौर पर लाभ पूर्वक है। जैसे की कुछ व्रत धनलाभ के लिए सहायक होते है, कुछ व्रत पाप के नाश में सहायक होते है, कुछ व्रत इच्छापूर्ति में सहायक होते है। व्रतों की अपनी ऐतिहासिक कथाए एवं मान्यताएं होती है। ये सभी व्रत जीवन के तनाव को दूर करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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वट सावित्री व्रत की जानकारी
वट सावित्री व्रत को सौभाग्य देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना गया है। हर साल सुहागिने पति की लंबी आयु और परिवार के उत्तम स्वास्थ्य के लिए इस व्रत को करती हैं। इस व्रत में वट का मतलब वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ है। इस व्रत में सावित्री एक लड़की का नाम है जिसकी इस व्रत की ऐतिहासिक कथा में विशेष भूमिका है तथा इसी की वजह से इस व्रत का निर्माण एवं आरंभ हुआ।
वट सावित्री व्रत 2023 अमावस्या मुहूर्त
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 18 मई 2023 को रात 09 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 19 मई 2023 को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार ये व्रत 19 मई को रखा जाएगा।
पूजा मुहूर्त - सुबह 07.19 - सुबह 10.42
पूजा की कुल अवधि - 3 घंटा 23 मिनट
वट सावित्री व्रत 2023 पूर्णिमा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि 03 जून 2023 को सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर आरंभ होगी और पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 04 जून 2023 को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर होगी। 4 जून को उदया तिथि होने के कारण वट पूर्णिमा का व्रत अधिक लाभकारी होगा।
पूजा मुहूर्त - सुबह 07.16 - सुबह 08.59
पूजा की कुल अवधि - 1 घंटा 43 मिनट
वट सावित्री व्रत की तिथि में उलझन
हर साल वट सावित्री व्रत की तिथि को लेकर एक संशय बना रहता है क्योंकि कई विभिन्न पुराणों के अनुसार इसकी तारीख अलग-अलग है। स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का विधान है वहीं दूसरी तरफ निर्णयामृत के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को व्रत करने की बात कही गई है।
आपको बता दें कि यह दोनों दिन पर वट सावित्री व्रत रखना उचित है। जेष्ठ मास की अमावस्या 19 मई 2023 को है तो जो लोग मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, ओड़िशा, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में रहते हैं वह इस दिन वट सावित्री व्रत करें।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 3 जून को है तो जो लोग गुजरात और महाराष्ट्र में रहते हैं वह इस दिन व्रत करें और जो राज्य बच गए हैं वह अपनी क्षमता अनुसार इन दोनों में से किसी भी तिथि पर वट सावित्री व्रत रख सकते हैं।
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत का महत्व किसी सुहागिन के लिए बहुत अधिक है क्योंकि ऐसी मान्यता है इस व्रत के कारण उसके पति पर आए संकट एवं स्वास्थ्य परेशानियां दूर हो जाती है तथा परिवार में खुशी का माहौल बना रहता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस व्रत को करने से देवी सावित्री के पति के प्राण यमराज से बचाना संभव हो पाया। इस दिन वट वृक्ष की परिक्रमा की जाती है क्योंकि उसमें त्रिदेव का वास माना गया है साथ ही वट वृक्ष की शाखाएं देवी सावित्री का रूप मानी गई है।
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अतः पतिव्रता सावित्री की तरह ही अपने सास-ससुर का उचित पूजन करने के साथ ही अन्य विधियों को प्रारंभ करें। वट सावित्री व्रत करने और इस कथा को सुनने से व्रत रखने वाले के वैवाहिक जीवन के सभी संकट टल जाते हैं।
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