क्यों मनाई जाती है लोहड़ी? जाने कुछ रोचक तथ्य, शुभ मुहूर्त और महत्व

 क्यों मनाई जाती है लोहड़ी? जाने कुछ रोचक तथ्य, शुभ मुहूर्त और महत्व

लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है। लोहड़ी पौष मास के अंतिम तिथि को सूर्यास्त के बाद मनाया जाता है। यह पर्व उत्तर भारत के लोग जिसमें अधिकतर पंजाब, डोगरा, हिमाचल, जम्मू ,हरियाणा क्षेत्रों में मनाया जाता है|  मकर सक्रांति की पूर्व संध्या पर इस त्यौहार को बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है और रात में खुले स्थान में परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर इस पर्व को भाई चारे के साथ एक साथ मनाते हैं।

जाने साल 2023 में लोहड़ी उत्सव का शुभ मुहूर्त टाइम और तारीख

लोहड़ी 2023 तिथि: 14 जनवरी 2023,  दिन  गुरुवार 

लोहड़ी संक्रांति मुहूर्त : 14 जनवरी 2023, समय रात 08 बजकर 57 मिनट तक 

क्या है लोहड़ी की पौराणिक कथा? 

लोहड़ी से जुड़ी पौराणिक कथा भी मिलती है इस कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने अपने राजमहल में एक यज्ञ का आयोजन करवाया था इस आयोजन में राजा दक्ष ने अपनी पुत्री सती और दामाद शिव को छोड़कर सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया था सती को लगा कि शायद उनके पिता उन्हें और उनके पति को बुलाना भूल गए हैं इसलिए सती बिना निमंत्रण मिले इस यज्ञ में चली गई हालांकि भगवान शिव ने सती को रोकने की कोशिश की मगर उन्होंने भगवान शिव की एक नहीं सुनी।

सती माता के त्याग के रूप में यह त्यौहार मनाया जाता है

माता सती जब अपने पिता के राज महल पहुंची तो उन्होंने अपने पिता से पूछा आप मुझे और मेरे पति को इस यज्ञ में बुलाना भूल गए थे इसलिए मैं स्वयं चली आई सती से यह बात सुनकर राजा दक्ष ने लोगों के सामने सती और भगवान शिव की निंदा की। अपने पति के खिलाफ बातें सुनने के कारण सती क्रोधित हो गई और उन्होंने यज्ञ की अग्नि में बैठकर अपने प्राण त्याग दिए जब भगवान शिव को सती की मृत्यु का समाचार मिला तब भगवान शिव ने वीरभद्र को उत्पन्न कर यज्ञ का विध्वंस करा दिया इसलिए लोहड़ी की शाम लकड़ियां जलाई जाती हैं।

पुराणों के आधार पर इसे सती के त्याग के रूप में प्रतिवर्ष याद करके मनाया जाता है उसी दिन को एक पश्चाताप के रूप में प्रति वर्ष लोहड़ी पर मनाया जाता है और इसी कारण घर की शादीशुदा बेटी को इस दिन तोहफे दिए जाते हैं और भोजन पर आमंत्रित कर उसका मान सम्मान किया जाता है इसी खुशी में श्रृंगार का सामान सभी विवाहित बेटियों को बाटा जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार मकर सक्रांति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा था जिसे श्री कृष्णा खेल-खेल में ही मार डाला था उसी घटना के फल स्वरूप लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है।

लोहड़ी पर क्यों सुनाई जाती है दुल्ला भट्टी की कहानी ?

लोहड़ी के त्यौहार के दौरान दुल्ला भट्टी को भी याद किया जाता है और लोहड़ी के गानों में दुल्ला भट्टी का नाम जरूर लिया जाता है। दुल्ला भट्टी नामक एक लुटेरा हुआ करता था जोकि लड़कियों को अमीर व्यापारियों से छुड़ाकर उनकी शादी करवा देता था सुंदरी और मुंदरी नामक दो अनाथ लड़कियां थी सुंदरी और मुंदरी को बेचे जाने का पता लगने पर दुल्ला बट्टी जिन्हें मुगल शासक डाकू मानते थे उन्होंने दोनों लड़कियों को छुड़ाकर उनकी शादी करवाई एक जंगल में आग जलाकर सुंदरी और मुंद्री का विवाह करवाया दुल्ला भट्टी ने ही उन दोनों कन्याओं का कन्यादान भी किया उन्होंने लड़कियों की झोली में शक्कर डालकर विदा करके उन लड़कियों के लिए पिता की भूमिका निभाई थी। इसके अलावा दुल्ला भट्टी गरीब लोगों की मदद भी किया करता था, तब से हर साल लोहड़ी के त्यौहार पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की परंपरा चली आ रही है।

लोहड़ी के प्रत्येक शब्द का अर्थ इस प्रकार है जिसमें ल का अर्थ लकड़ी से है ओह का अर्थ सूखे उपले और डी का अर्थ रेवड़ी इन शब्दों को जोड़कर लोहड़ी शब्द प्रसिद्ध हुआ। यह त्योहार फसलों के लहलहाने की खुशी में मनाया जाता है और उसके पश्चात इस फसल को काटकर अपने आराध्य को समर्पित किया जाता है और उनसे प्रार्थना की जाती है की साल भर बना रहे। इस त्यौहार के माध्यम से हमें जीवन जीने की कुछ सीख भी प्राप्त होती है जैसे मिल जुल कर रहना, आपसी प्रेम और एक दूसरे की मदद करना आदि।

लोहड़ी को सर्दियों के अंत का प्रतीक माना जाता है

इस त्यौहार को सर्दियों के जाने और बसंत के आने के संकेत के रूप में भी देखा जाता है। इस त्यौहार के बारे में मान्यता है इस दिन साल की सबसे लंबी अंतिम रात होती है और इसके अगले दिन से धीरे-धीरे दिन बढ़ने लगता है। लोहरी पर्व होने के बाद ही हमारे समाज में शुभ और मांगलिक कार्य दोबारा से आरंभ किए जाते हैं जैसे विवाह के लिए  कुंडली मैचमेकिंग, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ संस्कार इत्यादि। 

पंजाबियों के लिए इस त्यौहार का होता है खास महत्व

पंजाब प्रांत के लोगों के बीच लोहड़ी का उत्सव खास महत्व रखता है जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चे का जन्म हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर लोहरी की बधाई दी जाती है घर में नववधू या बच्चे की पहली लोहड़ी का काफी महत्व होता है इस दिन विवाहित बहने और बेटियों को घर बुलाया जाता है यह त्योहार बहन और बेटियों की रक्षा और उनके सम्मान के रूप में भी मनाया जाता है।

 

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