गंगा दशहरा 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त, तारीख, स्नान मुहूर्त, महत्व और कथा

 गंगा दशहरा 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त, तारीख, स्नान मुहूर्त, महत्व और कथा

दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जिसमें गंगा दशहरा को एक विशेष स्थान प्राप्त है जोकि ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवी गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। राजा भागीरथ की बेहद कठिन तपस्या के बाद उन्होंने भगवान शिव के द्वारा गंगा का आगमन धरती पर करवाया। गंगा दशहरा के नाम का मतलब ही गंगावतरण हैं यानी गंगा का अवतरण।
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गंगा दशहरा का महत्व
हिंदू धर्म में गंगा दशहरा एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरे भारत के अलग-अलग हिस्सों से तथा विदेशों से लोग गंगा नदी में स्नान करने आते हैं। मान्यता है अपने पापों से मुक्ति पाकर शुद्धि प्राप्त कर लेते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से सिर्फ पापों से मुक्ति ही नहीं बल्कि आर्थिक समृद्धि भी प्राप्त होने की मान्यता है। इस दिन लोग देवी गंगा की पूजा करके उनसे इच्छापूर्ति एवं मोक्ष की प्राप्ति का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। गंगा दशहरा मुख्यता भारत के उत्तरी भाग में मनाया जाता है जिसमें उत्तराखंड, झारखंड, बिहार एवं पश्चिम बंगाल है।


गंगा दशहरा तिथि एवं शुभ मुहूर्त
साल 2023 में गंगा दशहरा 30 मई को मनाया जाएगा क्योंकि इसी दिन ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है।
गंगा दशहरा तिथि प्रारंभ- 29 मई 2023-11:49
गंगा दशहरा तिथि समाप्त- 30 मई 2023- 1:07 (दोपहर)


गंगा दशहरा के लाभ
गंगा दशहरा एक ऐसा त्योहार है जोकि आपको विभिन्न क्षेत्रों में लाभ युक्त करने की क्षमता रखता है।

पापो की समाप्ति: मान्यता है गंगा दशहरे पर गंगा स्नान करने से पहला लाभ जो आपको प्राप्त होगा वह है आपके पापों की समाप्ति एवं आत्मा का शुद्धिकरण। मान्यता है की गंगा नदी का पानी इतना पवित्र है कि वह आपके सारे पाप समाप्त कर सकता है।

आर्थिक समृद्धि: ऐसी मान्यता है कि गंगा नदी का पानी इतना ज्यादा पवित्र है कि वह आपके आर्थिक दोष को खत्म करके आपको आर्थिक समृद्धि में सहायता करा सकता है।

मन में सकारात्मकता: गंगा दशहरा के दिन देवी गंगा की पूजा करने से कई विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ मन की सकारात्मकता में वृद्धि एवं नकारात्मकता का नाश होता है।

दान आदि का महत्व: इस दिन देवी गंगा की पूजा करने के बाद दान आदि करने से अधिकतम पुण्य की प्राप्ति एवं मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

परिवार में खुशहाली: इस दिन पूरे विधि विधान से माता गंगा की पूजा एवं उपवास रखने से सदैव परिवार में खुशहाली रहती है तथा परिवार के स्वास्थ्य में शुभ संकेत प्राप्त होते हैं।

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गंगा दशहरा कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी गंगा का जन्म ब्रह्मा जी के कमंडल से हुआ था इसलिए इसे देवी के रूप में पूजा जाता है। गंगा भारत की सबसे पवित्र नदी है। वाल्मीकि रामायण, महाभारत, भागवत पुराण, विष्णु पुराण और हरवंश पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथों में माता गंगा के पृथ्वी पर आने का जिक्र मिलता है।

इच्छुक वंश के राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रण लिया था इसके पीछे उनकी वजह अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त करवाने की थी। वह हिमालय चले गए और कठोर तपस्या में लीन हो गए। कई हजारों वर्ष की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी गंगा ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी इच्छा प्रकट करने को कहा तब राजा भागीरथ ने कहा कि वह देवी गंगा को पृथ्वी पर अवतरण चाहते हैं। इस पर ब्रह्मा जी ने बताया की गंगा का वेग इतना तेज है कि इससे पूरी धरती में प्रलय आ सकता है। यह सुनकर राजा भागीरथ ने उनसे इस समस्या का उपाय पूछा। इस पर ब्रह्म जी ने बताया कि उनका वेग सिर्फ भगवान शिव ही नियंत्रित कर सकते हैं। यह जानकर राजा भागीरथ फिर कठोर तपस्या में जुट गए।

कई हजारों वर्ष की तपस्या के बाद भगवान शिव राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न हुए और उनको दर्शन देते हुए उनकी इच्छा पूछी। इस पर राजा भागीरथ ने उनसे विनती की वह गंगा का वेग अपनी जटाओं में धारण करले जिसके कारण वह गंगा की दिशा को नियंत्रित कर बिना प्रलय के गंगा नदी को पृथ्वी पर अवतरित कर पाए। भगवान शिव ने राजा भागीरथ का सुझाव मान लिया एवं गंगा नदी को अपनी जटाओं में धारण कर लिया। जिस दिन भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा नदी को समेटा उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी और इस घटना के बाद इस तिथि को गंगा सप्तमी के रूप से जाना गया। इसके बाद 32 दिन तक गंगा नदी भगवान शिव की जटा में विचरण करती रही।

32 दिन तक विचरण करने के बाद शिव जी ने ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपनी एक जटा को खोल दिया और गंगा नदी को पृथ्वी पर अवतरित कर दिया। गंगा की एक धारा हिमालय से निकलने लगी फिर भागीरथ ने अपने बल से पहाड़ों के बीच गंगा के लिए रास्ता बनाया। इस तरह गंगा नदी का पानी उत्तर भारत के मैदानी इलाकों तक पहुंच पाया।

गंगा दशहरा पूजा विधि
➡ सबसे पहले सुबह जल्दी उठें।
➡ फिर हो सके तो गंगा नदी में स्नान करने जाएं अन्यथा अगर आप गंगा नदी नहीं जा सकते तो अपने घर के पानी में गंगाजल छिड़क कर नहाये।
➡ गंगा स्नान करते समय अपने मन में ईश्वर को याद करते हुए अपनी इच्छा मांगे।
➡ गंगा स्नान करने के बाद घर आए और अपने घर के मंदिर में देवी गंगा की मूर्ति या फोटो लगाकर उनकी विधि विधान से पूजा करें तथा आप देवी गंगा को समर्पित मंदिरों में भी जा सकते हैं।
➡ विधि विधान से पूजा करने के बाद दान आदि जैसा पुण्य काम करें।

इस दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं अगर आप चाहे तो गंगा दशहरा के आरंभ से लेकर गंगा स्नान तक या गंगा पूजन तक अपना उपवास रख सकते हैं। कुछ लोग उपवास को गंगा स्नान के बाद पूर्ण मान लेते हैं और कुछ लोग देवी गंगा की पूजा के बाद उपवास को पूर्ण मान लेते हैं। जबकि दोनों ही तरीके सही है।  

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